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।। श्री हरि।। 14 - नवीन परिभाषा कन्हाई नवीन-नवी

।। श्री हरि।।
14 - नवीन परिभाषा  

कन्हाई नवीन-नवीन परिभाषाएँ बनाता रहता है। यह कब किस शब्द या  क्रिया की क्या परिभाषा बना देगा, ब्रह्मा भी नहीं समझ सकते।

अाज नियुद्ध-मल्लयुद्ध की सूझ गयी थी! गोचाण के लिए वन में आने पर बालकों का प्रतिदिन का बंधा क्रम है कि पहुंचते ही सब इधर-उधर बिखर जायेंगे। खड़िया, गैरिक, हरताल आदि वन-धातुएँ तथा नाना रंगों के कुसुम, किसलय, गुञ्जा, पक्षियों के गिरे पंख संग्रह करने रहते हैं। 
 
अपनी सामग्री एकत्र हुई और जुट जायेंगे एक दूसरे को सजाने-शृंगार करने में। दाऊ दादा और श्याम को सब मिलकर सजाते हैं। ये दोनों भाई भी सब सखाओं का शृंगार करते हैं।
anilsiwach0057

Anil Siwach

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।। श्री हरि।। 14 - नवीन परिभाषा कन्हाई नवीन-नवीन परिभाषाएँ बनाता रहता है। यह कब किस शब्द या क्रिया की क्या परिभाषा बना देगा, ब्रह्मा भी नहीं समझ सकते। अाज नियुद्ध-मल्लयुद्ध की सूझ गयी थी! गोचाण के लिए वन में आने पर बालकों का प्रतिदिन का बंधा क्रम है कि पहुंचते ही सब इधर-उधर बिखर जायेंगे। खड़िया, गैरिक, हरताल आदि वन-धातुएँ तथा नाना रंगों के कुसुम, किसलय, गुञ्जा, पक्षियों के गिरे पंख संग्रह करने रहते हैं। अपनी सामग्री एकत्र हुई और जुट जायेंगे एक दूसरे को सजाने-शृंगार करने में। दाऊ दादा और श्याम को सब मिलकर सजाते हैं। ये दोनों भाई भी सब सखाओं का शृंगार करते हैं। #Books

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