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उलझती लटों को फिर सुलझा रही हुं मैं चांद तले तेरा

उलझती लटों को फिर सुलझा रही हुं
मैं चांद तले तेरा इन्तजार कर रही हुं

अन्धेरा है चारों ओर गजब ही सन्नाटा है
मैं चुपके से तेरी यादों को फिर बुन रही हुं
उलझती लटों को फिर सुलझा रही हुं इंतज़ार कर रही हूँ 🍁🍁🍁 Internet Jockey Vinay Vinayak Haksh Pandey Kalyani Shukla Kanika Girdhari
उलझती लटों को फिर सुलझा रही हुं
मैं चांद तले तेरा इन्तजार कर रही हुं

अन्धेरा है चारों ओर गजब ही सन्नाटा है
मैं चुपके से तेरी यादों को फिर बुन रही हुं
उलझती लटों को फिर सुलझा रही हुं इंतज़ार कर रही हूँ 🍁🍁🍁 Internet Jockey Vinay Vinayak Haksh Pandey Kalyani Shukla Kanika Girdhari