खुशबु बनकर गुलों में उड़ा करते हैं धुवा बनकर पर्वतों में उड़ा करते हैं अरे हमें क्या रोकेंगे ये जमाने वाले हम परों से नहीं होसलों से उड़ा करते हैं भीड़ में खड़ा होना मकसद नहीं है मेरा भीड़ जिसके लिए खड़ी हो वो बनना हैं मुझे जो लोग आपके अन्दर की कमीया निकालते रहते हैं उनसे कहना मेरे अन्दर की कमिया निकालने से पहले तुम खुद की सारी कमिया खत्म करके दिखाओ राज तो हमारा हर जगह पर है पसंद करने वाले के दिलो में नापसंद करने वाले के दिमाग में