(अपना गाँव) ऐ शहर तेरी रोशनी से अब जी घबराता है.. अपना गाँव मुझे बहुत याद आता है.. आया था कुछ सपने लेकर सोचा कुछ कर पाउंगा.. पर किसे पता सपनों के चक्कर मे, अपनों को ही भूल जाऊँगा नहीं रहना अब तेरे ईन ऊँचे पक्के मकानों में. दिल तो अपना वही बसता है मिट्टी के कच्चे मकानों में.. AC, कूलर, सोफ़े पर भी नीन्द कहा ले पाते हैं गांव में पीपल छाव के नीचे बड़े प्यार से सो जाते हैं.. चओमींग, सैंडविच, पिज्जा, बर्गर कहने को सब खाता है.. पर वो लकड़ी के चूल्हे पर बने खाने का स्वाद कहा मिल पाता है.. कोल्डड्रिंक, और मज़ा का मजा कहा मिल पाता है.. जो गांव के गन्ने का रस मन मीठा कर जाता है... शहर ये तेरी हवा, मन को दूषित कर जाता है.. गांव का वो बयार बसंती मन हर्षित कर जाता है.. चलता हूं बस चलता हूं गांव मेरा बुलाता है...! (.. 🖋️🖋️Anish🖋️🖋️..) #अपनागांव #solace