*गृहलक्ष्मी.....* *एक अंकल को दोस्त के बेटे की शादी के* *रिसेप्शन में जाने का मौका मिला.* *स्टेज पर खड़ी खुबसूरत नयी जोड़ी को* *आशीर्वाद देकर नीचे उतर ही रहे थे कि* *उनके दोस्त ने आवाज देकर* *वापस स्टेज पर बुलाया और कहा कि* *"नवदंपति" को* *आशीर्वाद के साथ अच्छी शिक्षा देते जाओ"* *महानुभाव ने पर्स में से 100 रुपये का नोट* *निकालकर दुल्हे के हाथ में देते हुए कहा* *कि "मसलकर नोट को फेंक दे".* *दुल्हे ने कहा "अंकल, ऐसी सलाह?* *पैसे को तो हम लक्ष्मी मानते हैं.* *महानुभाव ने जबाब मे कहा कि* *"जब कागज की लक्ष्मी* *का इतना मान सम्मान करते हो तो* *आज से तुम्हारे साथ खड़ी* *कंधे से कंधा मिलाकर पुरी जिंदगी* *दुख सुख में साथ देने के लिए तैयार* *गृहलक्ष्मी को कितना मान सम्मान देना है* *वो तुम खुद तय कर लेना".* *क्योंकी ये किसी मॉं-बाप की* *सबसे अनमोल मोती हैं.* *जो कि इस कागज़ की लक्ष्मी से बहुत ऊपर है।।* .......💧🎈