***मैं - अहम की कहानी **** दौड़ती - भागती ज़िन्दगी की शाम कब हो गई पता नहीं बचपन से जवानी औ बुढ़ापा कब आया पता नहीं प्यास कुछ पाने की हर पल जगती रही जो था उसे अपनाने की फुरसत न रही समय का पहिया घूमता रहा मैं अपनी मैं की चक्की मेँ पिसता रहा आसान सी ज़िन्दगी को जी न सका अपनो को मैं पाकर भी पा न सका मैं को जीने की खातिर अपनो से दूर होता गया आज चाह कर भी मैं उनको पाने में असमर्थ हो गया मैं की हार में ही तुम्हारी जीत छुपी है जीवन जीने का असली फलसफा यही है मैं से तुम नहीं जब हम बन जाओगे जीवन धारा का मीठा जल तभी ग्रहण कर पाओगे #nojotohindi#nojotoegoism#nojotoqueen ***मैं - अहम की कहानी **** दौड़ती - भागती ज़िन्दगी की शाम कब हो गई पता नहीं बचपन से जवानी औ बुढ़ापा कब आया पता नहीं प्यास कुछ पाने की हर