तुम प्रकृति हो, तुम संस्कृति हो, भले विचारों की मौन स्वीकृति हो, बेटी,बहिन मां के रूप में, तुम देव स्तुति हो, खुद पीड़ा सहकर ,दूजों की पीड़ा हरती, अन्न त्याग कर,निर्जल व्रत हो करती, सुत जन ती,व्यंजन रचती,गाती मंगलाचार, साक्षात सृष्टि की देवी के चरणों में,नमन है बारम्बार,, ©Rajesh rajak देव दुलारी हो, क्यों कि तुम नारी हो,