क्या मेरे गाँव सा सुकून वहां मिलता है? आप ही बताइए, आप तो शहर के हैं ! -1 वो भी इंसान था जिसने फ़तह की दुनिया, तू भी इंसान है, ज़िद करके सिकंदर हो जा ! -2 शम्मा को तो जलना है, पतंगे से उसे क्या, अपनी ही ज़िद में पतंगे ख़ुद को जला लेते हैं ! -3 सब दुआ तावीज़ जब बेअसर हो गए, अपने डर से टकराए तो हम निडर हो गए !!! -4 कभी खंडर सा वीराँ है, कभी जंगल बयाबाँ है, कभी जन्नत, कभी मरघट, कभी मेला मेरा मन है ! -5 ©® फिरोज़ खान अल्फ़ाज़ नागपुर , प्रोपर औरंगाबाद बिहार स0स0~9231/2017 क्या मेरे गाँव सा सुकून वहां मिलता है? आप ही बताइए, आप तो शहर के हैं ! -1 वो भी इंसान था जिसने फ़तह की दुनिया, तू भी इंसान है, ज़िद करके सिकंदर हो जा ! -2 शम्मा को तो जलना है, पतंगे से उसे क्या, अपनी ही ज़िद में पतंगे ख़ुद को जला लेते हैं ! -3