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करीब़ आते हो तो डर सा लगता है, देखा नहीं न ख़्वाब

करीब़ आते हो
तो डर सा लगता है,
देखा नहीं न ख़्वाब हसीन कोई
सच होते हुए,
इसलिए घर होते हुए भी
मुझे बेघर सा लगता है;

कि ख़्वाबों की सिलवटों से,
बदली उन करवटों से,
झाँककर तो देखो,
एक आईना खड़ा है,
बिलकुल समकक्ष तुम्हारे 
रूबरू करने तुम्हें
तुम्हारी रूहानियत से;

वही रूहानियत जो प्रतिबिंब है
तुम्हारी खुबसूरत सी काया का
तुम्हारी अप्रत्याशित छाया का,
और आज उस काया से
वाकिफ़ होकर मैं भी फ़ना हो चला
और आज उस छाया से
इश़्क कर मैं मुकम्मल हो गया।
 #FreakySatty

#poetry #हिन्दी #पास #डर #फ़ना #इश़्क #मुकम्मल #रूहानियत
#प्रतिबिंब #काया #छाया #वाकिफ़ #रूबरू #सिलवटें #करवटें
#आईना

#YQdidi
करीब़ आते हो
तो डर सा लगता है,
देखा नहीं न ख़्वाब हसीन कोई
सच होते हुए,
इसलिए घर होते हुए भी
मुझे बेघर सा लगता है;

कि ख़्वाबों की सिलवटों से,
बदली उन करवटों से,
झाँककर तो देखो,
एक आईना खड़ा है,
बिलकुल समकक्ष तुम्हारे 
रूबरू करने तुम्हें
तुम्हारी रूहानियत से;

वही रूहानियत जो प्रतिबिंब है
तुम्हारी खुबसूरत सी काया का
तुम्हारी अप्रत्याशित छाया का,
और आज उस काया से
वाकिफ़ होकर मैं भी फ़ना हो चला
और आज उस छाया से
इश़्क कर मैं मुकम्मल हो गया।
 #FreakySatty

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