वो फूलों सी वो ख्वाबों सी वो हज़ार अफताबों सी जब आसपास होती है वो आती खुशबू है गुलाबों सी वो कोई चहकती चिड़िया सी छोटे बच्चों की गुड़िया सी जब बात करे तो लगती है जादू की जैसे पुड़िया सी वो चले तो जैसे समय चले वो रुके तो सब रुक जाता है कोई नई कली को देख भ्रमर जैसे सुध-बुध खो जाता है हम हाल हमारा गाते है जानें वो चाहे न जानें हम तो उसके दीवाने है मानें वो चाहे न मानें हम जैसे एक बंजारे से वो महलों की शाहजादी वो फूलों सी वो ख्वाबों सी.. वो फूलों सी वो ख्वाबों सी वो हज़ार अफताबों सी जब आसपास होती है वो आती खुशबू है गुलाबों सी वो कोई चहकती चिड़िया छोटे बच्चों की गुड़िया सी जब बात करे तो लगती है