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कुछ इस तरह से उनसे मुलाकात हो गई। रूह में जा बसी ह

कुछ इस तरह से उनसे मुलाकात हो गई।
रूह में जा बसी हो ऐसी कोई बात हो गई।।
                वो सामने आ जाएं बहाने ढूंढने लगा।
                हंसता चेहरा देख लूं यही सोचने लगा।
                लिखने लगा मैं अपने दिल के जज़्बात।
               देर न लगी उसे समझने में मेरे अल्फ़ाज़।
             आहिस्ता आहिस्ता उसने मेरी भावना को जाना
             बग़ैर कुछ कहे मुझे चाहा समझना।।
             दिल की लगी आख़िर दिल लगी नहीं होती।
             प्यार की भावना हर किसी पे नहीं होती।
             अक्सर फिर वो आंखों से ओझल होने लगी।
             अपने ज़रूरी कामों में वो खोने लगी।
  हम भी पागल न थे समझ गए उनकी अनकही बात को।
  समझते ही आंखों में मेरे आंसुओं की बरसात हो गई।
कुछ इस तरह से उनसे मुलाकात हो गई।
रूह में जा बसी हो ऐसी कोई बात हो गई।।
✍️क़ाज़ी अज़मत कमाल
कुछ इस तरह से उनसे मुलाकात हो गई।
रूह में जा बसी हो ऐसी कोई बात हो गई।।
                वो सामने आ जाएं बहाने ढूंढने लगा।
                हंसता चेहरा देख लूं यही सोचने लगा।
                लिखने लगा मैं अपने दिल के जज़्बात।
               देर न लगी उसे समझने में मेरे अल्फ़ाज़।
             आहिस्ता आहिस्ता उसने मेरी भावना को जाना
             बग़ैर कुछ कहे मुझे चाहा समझना।।
             दिल की लगी आख़िर दिल लगी नहीं होती।
             प्यार की भावना हर किसी पे नहीं होती।
             अक्सर फिर वो आंखों से ओझल होने लगी।
             अपने ज़रूरी कामों में वो खोने लगी।
  हम भी पागल न थे समझ गए उनकी अनकही बात को।
  समझते ही आंखों में मेरे आंसुओं की बरसात हो गई।
कुछ इस तरह से उनसे मुलाकात हो गई।
रूह में जा बसी हो ऐसी कोई बात हो गई।।
✍️क़ाज़ी अज़मत कमाल