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इब्तिदा-ए-इश्क़ को मैं दिल की दुश्वारी लिख देता, तो

इब्तिदा-ए-इश्क़ को मैं दिल की दुश्वारी लिख देता,
तोहमतों औऱ अश्कों से अपनी यारी लिख देता।
ख़्वाहिश रही काश प्रेम कविता सा होता मेरा,
ज़िंदगी भर के लिए इश्क़ की ख़ुमारी लिख देता। 🎀 Challenge-311 #collabwithकोराकाग़ज़

🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है।

🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है।

🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। 25 शब्दों में अपनी रचना लिखिए।
इब्तिदा-ए-इश्क़ को मैं दिल की दुश्वारी लिख देता,
तोहमतों औऱ अश्कों से अपनी यारी लिख देता।
ख़्वाहिश रही काश प्रेम कविता सा होता मेरा,
ज़िंदगी भर के लिए इश्क़ की ख़ुमारी लिख देता। 🎀 Challenge-311 #collabwithकोराकाग़ज़

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