मेरे सर्वस्व की पहचान अपने आँचल की दे छाँव ममता की वो लोरी गाती मेरे सपनों को सहलाती गाती रहती, मुस्कराती जो वो है मेरी माँ। प्यार समेटे सीने में जो सागर सारा अश्कों में जो हर आहट पर मुड़ आती जो वो है मेरी माँ। दुख मेरे को समेट जाती सुख की खुशबू बिखेर जाती ममता की रस बरसाती जो वो है मेरी माँ..। Nikhil Singh Raghuvanshi (माँ को समर्पित एक छोटी सी कृति) mother's day special