#OpenPoetry पूरी तरह मरे नहीं, अभी कुछ जज़्बात ज़िंदा है, इंतेज़ार उस वक़्त का है, जब वो आकर कहेंगे, कि हम अपने किये पर शर्मिंदा है। #lovableJIGAR