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इंदरा नगर असहाय फिर निदान मांगता प्रश्न ये भी तो

इंदरा नगर असहाय फिर निदान मांगता 
प्रश्न ये भी तो है कौन आगे बढ़कर आता
कोई नहीं पूछता हमसे अब कैसे हो तुम
बंद कर दिए हो जो तुम सबको बाड़ों में
फिर यहां कौन गलियारों में आता - जाता;
कुछ हद तक बात ठीक थी महामारी की
पर इतना बड़ा स्वांग क्यों रचाया तुमने
बंद रास्तों को फिर जाली से बुन देना
क्या तुमको पहरेदारों पे अभिमान नहीं था?
इतनी चाक चौबंद चौकसी फिर
कैमरे और द्रोडों से कभी न की होगी जेलों में
तो फिर हम सब क्या माने वासी हैं या अपराधी?
चलो मान लिया अपराध, यहीं घर हमारा है
पर कुछ दायित्व का निर्वहन तुम्हारा भी
कभी लक्ष्मण रेखा पार की हो तो जरूर बताना
इतना ही बस दायित्व नहीं तुम्हारा
रोजमर्रा की चीजें भला कौन पहुंचाता;
बस इतना करते जाओ तुम तो 
जीने का मार्ग लछागृह से ना ढूढ़ना पड़ता!
हम सब साथ है महामारी के युद्ध में
बस नीति और नीयत शुद्ध हो तो
सबको एक समान न्याय मिलता
न कोई बच्चा दूध के लिए रोता
न कोई भूख से यूं ही मरता और ना
अपने घर को अकेले ही पैदल चलता। containment area... lockdown!
इंदरा नगर असहाय फिर निदान मांगता 
प्रश्न ये भी तो है कौन आगे बढ़कर आता
कोई नहीं पूछता हमसे अब कैसे हो तुम
बंद कर दिए हो जो तुम सबको बाड़ों में
फिर यहां कौन गलियारों में आता - जाता;
कुछ हद तक बात ठीक थी महामारी की
पर इतना बड़ा स्वांग क्यों रचाया तुमने
बंद रास्तों को फिर जाली से बुन देना
क्या तुमको पहरेदारों पे अभिमान नहीं था?
इतनी चाक चौबंद चौकसी फिर
कैमरे और द्रोडों से कभी न की होगी जेलों में
तो फिर हम सब क्या माने वासी हैं या अपराधी?
चलो मान लिया अपराध, यहीं घर हमारा है
पर कुछ दायित्व का निर्वहन तुम्हारा भी
कभी लक्ष्मण रेखा पार की हो तो जरूर बताना
इतना ही बस दायित्व नहीं तुम्हारा
रोजमर्रा की चीजें भला कौन पहुंचाता;
बस इतना करते जाओ तुम तो 
जीने का मार्ग लछागृह से ना ढूढ़ना पड़ता!
हम सब साथ है महामारी के युद्ध में
बस नीति और नीयत शुद्ध हो तो
सबको एक समान न्याय मिलता
न कोई बच्चा दूध के लिए रोता
न कोई भूख से यूं ही मरता और ना
अपने घर को अकेले ही पैदल चलता। containment area... lockdown!