कुछ इस तरह से आज-कल, वो ज़िंदगी गुज़ारा करती है............. अपनी ज़ुल्फ़ों को सवारकर, हमारी ओर इशारा करती है............. जब रहते हैं हम साथ उसके, हमको नज़रअंदाज़ करती है............ जब लेते हैं हम रुखसत उससे, कमबख़्त पीछे से पुकारा करती है...... ©Poet Maddy कुछ इस तरह से आज-कल, वो ज़िंदगी गुज़ारा करती है............. #Somehow#Nowadays#Lives#Life#Riding#Locks#Pointing#Ignore#Leave#Behind.........