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हकीक़त से तो तुम पहले भी रू-ब-रू हो जाते, अब तुम

हकीक़त से तो तुम पहले भी रू-ब-रू हो जाते, 
अब तुम आँखें मूँदे बैठे थे, 
तो इसमे आइने का क्या कसूर ?

©The Poetic Megha
  Mirror #Shayar #Hindi

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