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ग़ुमान-ए-दीन में मग़रूर रहे मोमिन काफ़िरों से झूठ बोल

ग़ुमान-ए-दीन में मग़रूर रहे मोमिन
काफ़िरों से झूठ बोला "सुन्नत" करना भूल गए 

काफ़िर का मज़हब था कि सब जानकर उन्हें माफ़ किया
मगर वो उसके मज़हब की इज़्ज़त करना भूल गए 

वो बे-ईमान लोग अब भी मेरा ईमान तोलते हैं
मेरे ऐब ढूंढने वाले ख़ुद "इफ़्फ़त" रखना भूल गए

हम उससे मोहब्बत क्या करते, वो दोस्ती के भी काबिल नहीं
हम भी फुरक़त करते करते उल्फ़त करना भूल गए !

©prashantwritez #Hair #poetry #poetsofnojoto #nojotopoetry #englishpoetry #lovepoetry #writingcommunity 
#writersofindia 
ग़ुमान-ए-दीन में मग़रूर रहे मोमिन
काफ़िरों से झूठ बोला "सुन्नत" करना भूल गए 

काफ़िर का मज़हब था कि सब जानकर उन्हें माफ़ किया
मगर वो उसके मज़हब की इज़्ज़त करना भूल गए 

वो बे-ईमान लोग अब भी मेरा ईमान तोलते हैं
मेरे ऐब ढूंढने वाले ख़ुद "इफ़्फ़त" रखना भूल गए

हम उससे मोहब्बत क्या करते, वो दोस्ती के भी काबिल नहीं
हम भी फुरक़त करते करते उल्फ़त करना भूल गए !

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prashantraj8762

Prashant Raj

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