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हम तो कभी किससे मिले नहीं कभी, आरोप लगाते गए बीच च

हम तो कभी किससे मिले नहीं कभी,
आरोप लगाते गए बीच चौराहों पर,
सब हसते गए, हम रोते हुए,
जिंदगी से क्या सीखा ,
कुछ पल बचना भी नसीब नहीं,

हम तो खोते गए अपने को,
पाने की कोशिशें भी नहीं कि,
तुम रूठ गए, हम अंधकार में डूबते गए ।

थोड़ीसी फुरसत निकाल,
मंजिल तक हाथ पकड़ कर जाएंगे तेरा,
अभिमान की मदिरा पीकर भी हसते जाएंगे
उस चौराहों पर,
जहाँ हम कभी मिलते थे।
हम तो कभी किससे मिले नहीं कभी,
आरोप लगाते गए बीच चौराहों पर,
सब हसते गए, हम रोते हुए,
जिंदगी से क्या सीखा ,
कुछ पल बचना भी नसीब नहीं,

हम तो खोते गए अपने को,
पाने की कोशिशें भी नहीं कि,
तुम रूठ गए, हम अंधकार में डूबते गए ।

थोड़ीसी फुरसत निकाल,
मंजिल तक हाथ पकड़ कर जाएंगे तेरा,
अभिमान की मदिरा पीकर भी हसते जाएंगे
उस चौराहों पर,
जहाँ हम कभी मिलते थे।
aswinidash2349

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