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*"जूते की अभिलाषा"*👢 चाह नहीं मैं विश्व सुंदरी क

*"जूते की अभिलाषा"*👢

चाह नहीं मैं विश्व सुंदरी के पग में पहना जाऊँ।
चाह नहीं दूल्हे के पग में रह, साली को ललचाऊँ।
चाह नहीं धनिकों के चरणों में, हे हरि डाला जाऊँ।
चाह नहीं कालीन पे घूमूं,भाग्य पर मैं इठलाऊँ।

*बस निकाल कर मुझे पैर से, उस मुँह पर देना तुम फैंक।*
*जिस मुँह से भी निकल रहे हों भारत विरोधी शब्द अनेक !! ....*👞👞 जूते की अभिलाषा
*"जूते की अभिलाषा"*👢

चाह नहीं मैं विश्व सुंदरी के पग में पहना जाऊँ।
चाह नहीं दूल्हे के पग में रह, साली को ललचाऊँ।
चाह नहीं धनिकों के चरणों में, हे हरि डाला जाऊँ।
चाह नहीं कालीन पे घूमूं,भाग्य पर मैं इठलाऊँ।

*बस निकाल कर मुझे पैर से, उस मुँह पर देना तुम फैंक।*
*जिस मुँह से भी निकल रहे हों भारत विरोधी शब्द अनेक !! ....*👞👞 जूते की अभिलाषा