पंछी कभी पास खिड़की पे चहचहाती थी, कभी वो आंगन में गाती थी, मैंने देखा था उसे, पानी मिलने पे कितनी धूम मचाती थी, कुछ दाने मील जाने भर से वो कितना खुश हो जाती थी, यहां वहां से तिनके लाकर पुरे घर में फैलाती थी, यूँ ही शाम सबेरे न जाने कौनसे गीत गाती थी, फुदक फुदक कर सारा छप्पर नाप जाती थी, उन छोटी नीली आंखों से ना जाने क्या बतियाती थी, जबसे वो आंगन का पेड़ कटा है अब नजर नहीं आती वो #NojotoQuote #nojotohindi #nojoto #hindi #पंछी #bird #चिड़िया #love #pyar #nature #poem #poetry #kavita #Hindikavita #shayari