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।।श्री हरिः।। 31 - नटराज कन्हाई से पूछो कि 'तू अम

।।श्री हरिः।।
31 - नटराज

कन्हाई से पूछो कि 'तू अमुक काम का सकता है?' तो इसका एक ही उत्तर है - 'कर दूँ?' इसको 'ना' करना नहीं आता! आज वन में आकर जब भद्र की दृष्टि बन्दरों के यूथपति पर पडी तो वह पूछ बेठा - 'कनूँ! तू उस मोटे बन्दर को वैसे नचा सकता है जैसे कल मदारी अपने बन्दर को नचाता था?'

'उससे अच्छा नचाऊँगा। नचाऊँ?' कन्हाई ताली बजाकर प्रसन्न हो गया।

'कैसे नचावेगा? तेरे पास डमरू कहाँ है?' मधुमंगल ने छेड़ा।
anilsiwach0057

Anil Siwach

New Creator

।।श्री हरिः।। 31 - नटराज कन्हाई से पूछो कि 'तू अमुक काम का सकता है?' तो इसका एक ही उत्तर है - 'कर दूँ?' इसको 'ना' करना नहीं आता! आज वन में आकर जब भद्र की दृष्टि बन्दरों के यूथपति पर पडी तो वह पूछ बेठा - 'कनूँ! तू उस मोटे बन्दर को वैसे नचा सकता है जैसे कल मदारी अपने बन्दर को नचाता था?' 'उससे अच्छा नचाऊँगा। नचाऊँ?' कन्हाई ताली बजाकर प्रसन्न हो गया। 'कैसे नचावेगा? तेरे पास डमरू कहाँ है?' मधुमंगल ने छेड़ा।

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