वो प्रेम करती है तुम्हें उसे सदा अपने साथ रखना उदास दिखे कभी तो होले से हाथ पर हाथ रखना उसके दुःख में उसके लोगों के हाथ बंध जाएं गर तो उसके लिये तुम खुले अपने दोनों हाथ रखना यूँ तो वो मुसीबत में कमजोर नहीं पड़ती है पर दिखें आंसू कभी तो आँखों पर अपने हाथ रखना वो तन्हा न महमूस करे खुद को भीड़ में भी कभी निडर रहेगी बस उसके हाथों में अपना हाथ रखना कहती रहती है हर बार एक यही बात मुझसे वो मेरी मांग पर सिंदूर लिये तुम ही अपना हाथ रखना ये हवाएं भी कोशिश में हैं तेरी उम्मीद बुझाने को मित्र तू भी दिये के चारों ओर जमाए हाथ रखना ©SamEeR “Sam" KhAn #मित्र poetry in hindi sad poetry hindi poetry poetry on love love poetry in hindi