वो गलियाँ जिसमे बसी थी । कूछ बेखायालि सी लङकियाँ । कुछ नही खास था उनमे । पर उनकी दोस्ती से मैहकी थी । गलियाँ । एक की चोटी दो ऐसी बधी बस सब के लिये । सबक थी वो लङकियाँ । तीन साहेलियाँ