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वो गलियाँ जिसमे बसी थी । कूछ बेखायालि सी लङकियाँ ।

वो गलियाँ जिसमे बसी थी ।
कूछ बेखायालि सी लङकियाँ ।
कुछ नही खास था उनमे ।
पर उनकी दोस्ती से मैहकी थी ।
गलियाँ ।
एक की चोटी दो ऐसी बधी बस सब के लिये ।
सबक थी वो लङकियाँ । तीन साहेलियाँ
वो गलियाँ जिसमे बसी थी ।
कूछ बेखायालि सी लङकियाँ ।
कुछ नही खास था उनमे ।
पर उनकी दोस्ती से मैहकी थी ।
गलियाँ ।
एक की चोटी दो ऐसी बधी बस सब के लिये ।
सबक थी वो लङकियाँ । तीन साहेलियाँ