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अधूरी कहानियां ..मेरी कुछ कहानियां जिन्दगी के पन्

अधूरी कहानियां

..मेरी कुछ कहानियां
जिन्दगी के पन्नों पर अधूरी ‌पड़ी हैं
मुकम्मल हो बड़ी आरजू है. लेकिन उन्हें ढूंढूं भी तो कहां  
कहीं किसी के ख्वाबों ख्यालों में गुम पड़ी है
कहीं किसी की  पलकों के झरोखों में
कैद पड़ी है. मेरी ‌अधूरी कहानियां

चलते-चलते. राह में ही तो कहीं मिली थी
बहुत कोमल थी...नाज़ुक थी. हमराह बन 
साथ ही चल रही थी. राह में कुछ तेज 
हवाएं चल रही थी. बीच सफर में 
कुछ मोड़ भी आये थे. ना जाने किन हवाओं के संग
वह किधर बह गयी. ना जाने किस मोड़ पर
वह कहां गुम हो गयी. मेरी ‌अधुरी कहानियां

उन अधूरी कहानियों के. लफ्जो को 
उतार लिया था मैंने. मन के कोरे कागज पर
बड़े सलीके से    सम्भाल के भी रखा था
दिल की दराज पर. लेकिन वे लफ्ज
हमेशा खामोश ही रहते है. दराज खोल कर 
एकटक...बड़ी उम्मीद से. तकतें रहते हैं
खुद के अधूरे होने का अहसास 
अक्सर मुझे कराते रहते हैं. मेरी ‌अधुरी कहानियां

कहानी मुकम्मल हो मेरी. इसी आरज़ू से
ढूंढ रहा हूं ...बाकी लफ्जो को. बड़ी ‌बेताबी से... 
किसी के ख्वाबों-ख्यालों में. ढूंढूं तो ढूंढूं कैसे
किसी की मुंदी पलकों में. झांकु तो झांकु कैसे
अधूरी कहानी. पुरी करुं तो करुं कैसे
कहीं आस-पास ही है. यह अहसास है मुझे
किसी को मिले तो बताना. कहीं वो...तुम ही तो नहीं ...
एक इशारा जरूर कर जाना. मेरी अधुरी कहानियां

©DEAR COMRADE (ANKUR~MISHRA) अधूरी कहानियां

..मेरी कुछ कहानियां
जिन्दगी के पन्नों पर अधूरी ‌पड़ी हैं
मुकम्मल हो बड़ी आरजू है. लेकिन उन्हें ढूंढूं भी तो कहां  
कहीं किसी के ख्वाबों ख्यालों में गुम पड़ी है
कहीं किसी की  पलकों के झरोखों में
कैद पड़ी है. मेरी ‌अधूरी कहानियां
अधूरी कहानियां

..मेरी कुछ कहानियां
जिन्दगी के पन्नों पर अधूरी ‌पड़ी हैं
मुकम्मल हो बड़ी आरजू है. लेकिन उन्हें ढूंढूं भी तो कहां  
कहीं किसी के ख्वाबों ख्यालों में गुम पड़ी है
कहीं किसी की  पलकों के झरोखों में
कैद पड़ी है. मेरी ‌अधूरी कहानियां

चलते-चलते. राह में ही तो कहीं मिली थी
बहुत कोमल थी...नाज़ुक थी. हमराह बन 
साथ ही चल रही थी. राह में कुछ तेज 
हवाएं चल रही थी. बीच सफर में 
कुछ मोड़ भी आये थे. ना जाने किन हवाओं के संग
वह किधर बह गयी. ना जाने किस मोड़ पर
वह कहां गुम हो गयी. मेरी ‌अधुरी कहानियां

उन अधूरी कहानियों के. लफ्जो को 
उतार लिया था मैंने. मन के कोरे कागज पर
बड़े सलीके से    सम्भाल के भी रखा था
दिल की दराज पर. लेकिन वे लफ्ज
हमेशा खामोश ही रहते है. दराज खोल कर 
एकटक...बड़ी उम्मीद से. तकतें रहते हैं
खुद के अधूरे होने का अहसास 
अक्सर मुझे कराते रहते हैं. मेरी ‌अधुरी कहानियां

कहानी मुकम्मल हो मेरी. इसी आरज़ू से
ढूंढ रहा हूं ...बाकी लफ्जो को. बड़ी ‌बेताबी से... 
किसी के ख्वाबों-ख्यालों में. ढूंढूं तो ढूंढूं कैसे
किसी की मुंदी पलकों में. झांकु तो झांकु कैसे
अधूरी कहानी. पुरी करुं तो करुं कैसे
कहीं आस-पास ही है. यह अहसास है मुझे
किसी को मिले तो बताना. कहीं वो...तुम ही तो नहीं ...
एक इशारा जरूर कर जाना. मेरी अधुरी कहानियां

©DEAR COMRADE (ANKUR~MISHRA) अधूरी कहानियां

..मेरी कुछ कहानियां
जिन्दगी के पन्नों पर अधूरी ‌पड़ी हैं
मुकम्मल हो बड़ी आरजू है. लेकिन उन्हें ढूंढूं भी तो कहां  
कहीं किसी के ख्वाबों ख्यालों में गुम पड़ी है
कहीं किसी की  पलकों के झरोखों में
कैद पड़ी है. मेरी ‌अधूरी कहानियां