यायावर मैं ! यायावर मैं, जाने कहाँ भटक रहा, एक ख़्वाब की खोज में, रूह मेरी मुझे रास्ता दिखाए, निलय मगर मुझे नज़र न आए, ज़िन्दगी के छलावों ने बाँध रखा है, त्याग इनका करूँ तो कैसे! झूठा ही सही मगर मेरा सम्मान रखा है, ईर्ष्या मुझमें इक आग जगाती है, लालसा उस आग में घी टपकाती है, मोहित हो मैं भटक हर बार जाता हूँ, कामना को पूरी करने लग जाता हूँ, अहंकार परिश्रम का घर कर जाता है, घमंड मानो मेरे सर चढ़ जाता है, लगता है मुझको जैसे मैं राजा हूँ, ग़ुलाम मगर इच्छाओं का मन बन जाता है, मुश्किल नहीं मगर ये राग जाता नहीं, ख़ुद से मिलूं कैसे, इनसे ऊपर उठ पाता नहीं, भटकता हूँ बस इसलिए, यायावर मैं!, ख़्वाब मैं हूँ! खुद को ही मैं खोज पाता नहीं || #यायावरमैं #खोज #vineetvicky #poetryflashes #nanowrimo2020 #encoreekkhwab #encore_ek_khwab