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मेरी हकीकत, मेरा फसाना, क्या जाने ये जालिम दुनिया


मेरी हकीकत, मेरा फसाना, क्या जाने ये जालिम दुनिया।
उठकर गिरता, गिरकर उठता, ऐसा है ये हाल हमारा।

सरपट-सरपट चलती राहें, बेखौफ घूमती जालिम दुनिया।
मैं जो चला एक कदम यहाँ पे, कौन करेगा ख्याल हमारा।

उम्मीदों पे कायम रहना, भूल गई ये जालिम दुनिया।
मैंने भी इक उम्मीद लगाई, बदलेगा अब साल हमारा।

रुक जाते गर कदम वहाँ पे, बच जाती ये जालिम दुनिया।
मैंने कहा था कोरोना से दूर रहना, अब कैसे सुधरेगा हाल हमारा।

इक आखिरी रास्ता ढूंढा मैंने, सुधरेगी अब जालिम दुनिया।
मेरी तरह बस कैद रहो तुम, परिवार रहे खुशहाल तुम्हारा।
 #yopodimo में आज कोरोना आधारित एक कविता लिखें। कोरोना से उपजी विभिन्न मनः स्थितियों और सामाजिक स्थितियों का विवरण पेश करते हुए एक कविता रचें।
#कोरोनाकविता  #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi #corona #covid19 #jalimduniya #mypoetry #khwahish

मेरी हकीकत, मेरा फसाना, क्या जाने ये जालिम दुनिया।
उठकर गिरता, गिरकर उठता, ऐसा है ये हाल हमारा।

सरपट-सरपट चलती राहें, बेखौफ घूमती जालिम दुनिया।
मैं जो चला एक कदम यहाँ पे, कौन करेगा ख्याल हमारा।

उम्मीदों पे कायम रहना, भूल गई ये जालिम दुनिया।
मैंने भी इक उम्मीद लगाई, बदलेगा अब साल हमारा।

रुक जाते गर कदम वहाँ पे, बच जाती ये जालिम दुनिया।
मैंने कहा था कोरोना से दूर रहना, अब कैसे सुधरेगा हाल हमारा।

इक आखिरी रास्ता ढूंढा मैंने, सुधरेगी अब जालिम दुनिया।
मेरी तरह बस कैद रहो तुम, परिवार रहे खुशहाल तुम्हारा।
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