यह ज़िन्दगी !!! मेरी दादी के शब्दों में कहूँ तो यह ज़िन्दगी निन्यानवे का फेर है । हम अधिक से भी अधिक की चाह में ही लगे रहते हैं कभी तृष्णा का काँटा अधिकतम पर पहुँचा ही नहीं पाते । मोह के धागे हमको कठपुतली सा नचाते है उमर भर, और हम उस नाच को ही ज़िन्दगी समझ बैठते हैं। मुझे तो ये मोह के धागे नहीं लगते, मोह की शाखाएँ होती हैं शाखाएँ क्योंकि धागों के कोई ओर-छोर होते हैं और मोह का कहाँ छोर है भला ! मोह तो छिछलता जाता है वृक्ष की शाखाओं सा.. बिना अपनी जड़ों पर बढ़ते बोझ का ख्याल किए ! #जिन्दगी #मोह #निन्यानवे_का_फेर #कठपुतली #शाखाएँ #yqdidi #random