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शाम-ए-ग़म ऐसे क्यूं गुज़रती है! दिल में हर बात अब

शाम-ए-ग़म ऐसे क्यूं गुज़रती है!
दिल में हर बात अब कसकती है।

ज़िंदगी हसरतों की धूप तले,
अपना साया तलाश करती है।

ख़्वाब इक रोज़ टूटते हैं मगर,
ज़िंदगी रोज़-ओ-शब बिखरती है।

दर्द ही क्यूं अश'आर बनते हैं!
शादमानी कहां भटकती है?

हाथ में जाम है मिरे लेकिन,
तिश्नगी दिल में छुप के बैठी है। #yqaliem #sham_e_gham
#hasraton_ki_dhup  #khwaab #tishnagi 
#urduhindi_poetry #yqurdu 

Baher - 2122 1212 22/112
शाम-ए-ग़म ऐसे क्यूं गुज़रती है!
दिल में हर बात अब कसकती है।

ज़िंदगी हसरतों की धूप तले,
अपना साया तलाश करती है।

ख़्वाब इक रोज़ टूटते हैं मगर,
ज़िंदगी रोज़-ओ-शब बिखरती है।

दर्द ही क्यूं अश'आर बनते हैं!
शादमानी कहां भटकती है?

हाथ में जाम है मिरे लेकिन,
तिश्नगी दिल में छुप के बैठी है। #yqaliem #sham_e_gham
#hasraton_ki_dhup  #khwaab #tishnagi 
#urduhindi_poetry #yqurdu 

Baher - 2122 1212 22/112