नौ माह तक उसके गर्भ में उसका स्नेहपाश लिया, ईश्वर ने उसके हाथों का प्रथम स्पर्श से वंचित कर दिया, औऱ बेकसूर निशा को मनहूसियत नाम से नवाज दिया, मजबूर हो कलंकित पहचान मेरी हैं ज़माने ने मनवा दिया। यह प्रतियोगिता संख्या -24 है आप सभी कवि- कवयित्री का स्वागत है। 💐💐 🎧 चार(4) पंक्ति में रचना Collab करें नया नियम:- आपके रचना post करने के बाद आप जाँच पड़ताल कमेटी के किसी एक