आखिर ज़माने का कहा मान लिया मैने, अपने ही हाथो अपना गला घोंट लिया मेंने | आग लगी है सीने में और मुस्कुरा रहे है मेरे लब, तुम्हरी ही तरह जीने का हुनर सिख लिया मैने | वो रग रग में है मौजूद और मैं भूल गया हु उसे, कितना साफ झूठ बोलना सिख लिया मैने | शायद खुश हो जायें पिंजरो में कैद लोग, पर अपना काट कर आज फेक दिया मैन। हो सके तो माफ़ कर देना मेरे मंजिल के मुसाफिर, थक हार कर अपना सफर रोक दिया मैने | अब जलता हु सुलगता हु आग पिता हु मैं, घर की रौशनी के लिए अपना ख्वाब जला दिया मैने, कांटे ही मुक़द्दर थे मेरे इस गुलशन में तेरे, तेरी राजी में राजी रहना खुदा सिख लिया मैने | इश्क़ विष्क कहा था बस तक़ाज़ा था वक़्त क़ा, ये खंजर भी अपने दिल पर आज मार लिया मैन।।।।। Ye khanjar bhi apne dil par....