आज नहीं वह यार बचे हैं | जिनके संग लुक्का छुपी खेला था | ना पैसे की चाह जहां, केवल खुशियों का रेलम रेला था| सभी लोग अब बड़े हो गए। बड़े- बड़े पद पर बैठे हैं । पैसे ना दे पाए खुशियां, जो मिट्टी से तोला मोला था! Avinash Pandit if I were child agen