धधक धधक कर जल उठी ज्ञान की ये पोथियाँ अनपढ़ सजाए बैठे हैं इन पर जुल्मों की कोठियाँ दिल जला, आंचल जला, राख हुई माँ की लोरियां माँ भारती सहम गई, देख बिखरी हुई ये धज्जियां सुना विकास के आड़े आईं थीं गरीबो की कुछ बस्तियाँ चूल्हा जलाने घर आए और राख कर गए वो झुग्गियां अब आतंकी राग बजेगा राजनीति का मंडप सजेगा कोई हिन्दू को दोष देगा कोई मुस्लिम पर दाग मढ़ेगा चारसूं मशहूर होगी तबाही और तबाही का ये मंजर फिर लोग फिरेंगे लेकर हाथों में तलवारें और खंजर अभी तो जिस्म जला है आबरू भी उतारी जाएगी रूको रूको अभी तो इस पर राजनीति खेली जाएगी #चौबेजी #चौबेजी #नज़्म #नोजोटो #nojotohindi #nojoto #poem