मेरे मन की मेहरबानियां ही तो ये है जो आज मेरे दुखो का बांध टूटने नही देती, जमाना बड़ा निर्मोही है प्यारे यह छुपा गम मुस्कुराहट के पीछे किसी से न कहती, जीवन तो मात्र पानी का क्षणभंगुर सा बुलबुला है,न जाने कब समुद्र में मिल जाये, आज जो बड़े अच्छे चेहरे है तेरे सामने वो न जाने कब का कब पल में बदल जाये, सोच को अपनी इतनी विशाल रखो की कोई भी संकुचित विचारों का आगमन न हो, ईश्वर हम है नही इसलिए काम ऐसे करो कि तेरे पीठ पीछे भी तेरे सुकर्मों की जय हो। 📌नीचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें..🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को रचना का सार..📖 की प्रतियोगिता :- 178 में स्वागत करता है..🙏🙏 💫आप सभी 4-6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।