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हैं आज आई वहीं रात फिर से, जब तुम आँखें चुरा भाग ग

हैं आज आई वहीं रात फिर से,
जब तुम आँखें चुरा भाग गये थे मुझसे,
याद तो होगा ही तुम सबको,
क्या कचोटा नहीं तुम को
तुम्हारी रूह ने हर रोज
आखिर नज़रें मिलाते हो कैसे 
तुम अपनी घर की औरतों से
क्या तुम्हें ख्याल नहीं आता 
मेरे रज से लथपथ तड़पता 
नग्न शरीर सर्द से लड़ता 
खैर मैं भी किससे बात कर रही
जिनका रज पानी हैं बन चुका... हैं आज आई वहीं रात फिर से,
जब तुम आँखें चुरा भाग गये थे मुझसे,
याद तो होगा ही तुम सबको,
क्या कचोटा नहीं तुम को
तुम्हारी रूह ने हर रोज
आखिर नज़रें मिलाते हो कैसे 
तुम अपनी घर की औरतों से
क्या तुम्हें ख्याल नहीं आता
हैं आज आई वहीं रात फिर से,
जब तुम आँखें चुरा भाग गये थे मुझसे,
याद तो होगा ही तुम सबको,
क्या कचोटा नहीं तुम को
तुम्हारी रूह ने हर रोज
आखिर नज़रें मिलाते हो कैसे 
तुम अपनी घर की औरतों से
क्या तुम्हें ख्याल नहीं आता 
मेरे रज से लथपथ तड़पता 
नग्न शरीर सर्द से लड़ता 
खैर मैं भी किससे बात कर रही
जिनका रज पानी हैं बन चुका... हैं आज आई वहीं रात फिर से,
जब तुम आँखें चुरा भाग गये थे मुझसे,
याद तो होगा ही तुम सबको,
क्या कचोटा नहीं तुम को
तुम्हारी रूह ने हर रोज
आखिर नज़रें मिलाते हो कैसे 
तुम अपनी घर की औरतों से
क्या तुम्हें ख्याल नहीं आता
shashirawat3736

Shashi Aswal

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