मेरे महबूब की हर एक अदा अनोखी और सबसे जुदा है मेरा महबूब ही मेरी पहचान है बसती उसमें मेरी जान है। मेरा महबूब मुझको चाहता है अपनी जान से भी ज्यादा, मुझ पर ही अपनी जान लुटाने का रखता है हरदम इरादा। महबूब के क़दमों में नहीं उसके दिल में मेरा ठिकाना है, उसके दिल की गलियों में मेरा रोज का आना जाना है। दुनियाँ में मेरा महबूब ही मेरा हमकदम मेरा हमसाया है, खुदा की रहमत है हमने प्यार से अपना संसार बसाया है। उसकी चाहत के सिवा मेरी जिंदगी की कोई चाहत नहीं है, मेरा महबूब साथ है तो मुझे किसी और की जरूरत नहीं है। ♥️ Challenge-598 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ विषय को अपने शब्दों से सजाइए। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।