उजाड दिए वो घरोंदे जहाँ पशु पक्षियों की महफिल होती थी ना रहे वो तडाग ना जलाश्य जिसमें वकों की कलकल होती थी कहां गये वो वन वो जंगल जिसमें शेरों से हलचल होती थी उखाड दिए वो वृक्ष जिस पर तोतों की चहल-पहल होती थी चलो ले आऐ फिरसे वही सुबहा जिसमें पक्षियों की चहचहाट शामिल होती थी #गीत✍🏻 #Birds