..........अभिब्यक्ति..........., आखिर कब तक.... वही राग ,बार बार ,ऐसा नही चलेगा अबकी बार पुरानी बात ,पुरानी याद ,यही होता है हर बार उन घरो के बारे मे सोचो,जिनका कोई नही आधार ललकार भरे लब्जो मे,उखाङ फेको ऐ मेरे सरकार आखिर कब तक.... वही राग ,बार बार ,ऐसा नही चलेगा अबकी बार वो माँ की गोद ,बच्चो का छाya,भाई का प्यार बहन की राखी,सब सुन पड़ा ,मिला ऐसा समाचार संतावना ,श्रधांजली ,सुमन ये सब हैं बेकार आखिर कब तक ... वही राग ,बार बार ,ऐसा नही चलेगा अबकी बार हैं हिम्मत तो खुन का बदला खुन,है न्यायिक अधिकार करो ऐलान-ए-जंग और टुट परो पापियो के व्दार बातो बात,समाधान ये हमे नही स्वीकार आखिर कब तक... वही राग ,बार बार ,ऐसा नही चलेगा अबकी बार कर दो आजाद अब जवानो को,करे प्रहार अपने अनुसार तोप ,टैंक ,गोलियो या बमो का भरपुर करे बौछार आतंकियो का करो सफाया ,गुस्सा उठे चित्कार आखिर कब तक.... वही राग ,बार बार ,ऐसा नही चलेगा अबकी बार ##### मुकेश ओझा ##### #NojotoQuote mai apne aap ko nahi rok saka ,,meri kalam kuch likhne pr mjbur ho gai....naman...