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फूल से नाज़ुक के कली क्या खिल यहां पर पाएगी आज नार

फूल से नाज़ुक के कली क्या खिल यहां पर पाएगी
आज नारी सक्ती से क्या मिल यहां पर पाएगी
सम्मान नारी का करो फिर आज यह जग बोलेगा 
खोठ हो स्वयं को फ़िर भी खूब में ही तौलेगा
हक मारते हैं नारी का जो क्या उनमें कोई शर्म है
अभिशाप कहते जो इन्हें क्या उनमें कोई मर्म है 
पूछता हूं आज जग से ओर क्या तुम्हारा धर्म है
नारी बढ़े आगे सदा ओर क्या तुम्हारा कर्म है।

©gungun Satya yaduvanshi #daughterquotes 

#WritingForYou
फूल से नाज़ुक के कली क्या खिल यहां पर पाएगी
आज नारी सक्ती से क्या मिल यहां पर पाएगी
सम्मान नारी का करो फिर आज यह जग बोलेगा 
खोठ हो स्वयं को फ़िर भी खूब में ही तौलेगा
हक मारते हैं नारी का जो क्या उनमें कोई शर्म है
अभिशाप कहते जो इन्हें क्या उनमें कोई मर्म है 
पूछता हूं आज जग से ओर क्या तुम्हारा धर्म है
नारी बढ़े आगे सदा ओर क्या तुम्हारा कर्म है।

©gungun Satya yaduvanshi #daughterquotes 

#WritingForYou