लड़की गुम है वो उस दिन घर में लैंडलाइन लगा था। पहली बार फ़ोन इतना पास से देखा। मैं भाग के तुम्हारे घर आया था नंबर मांगने। फिर तुम्हे जब भी खेलने के लिए बुलाना होता घंटी कर देता। कई बार छुट्टी वाले दिन फ़ोन के पास ही बैठा रहता। तुम्हारे फ़ोन के इंतज़ार में। फिर एक दिन तुम आई, हाथ में काग़ज़ लिए। अंकल का ट्रान्सफर हो गया था। तुम अपने नए नंबर दे के चली गयी। मैं कहता रहा कि फ़ोन करूँगा। बस ये नहीं पता था कि फ़ोन में एसटीडी नहीं थी। तब तुम पांचवी में थी और मैं छठी में। अब तुम कहाँ हो, नहीं पता। आज मोबाइल है और आईएसडी भी। पर