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है यही दिली ख्वाहिश, हर मानव अब तो इंसान हो जाए,

है यही दिली ख्वाहिश, हर मानव अब तो  इंसान हो जाए,
हर  ख्वाहिश हो  मंजूर-ए-ख़ुदा, चमत्कार  ऐसा हो जाए।

हर इंसान अब इंसानों के साथ, इंसानों जैसा करे व्यवहार,
व्यभिचारी  छोड़ कर, मानव होने का  अपना धर्म निभाए।

ऐ मेरे ख़ुदा  अब तो  रहम कर, अपने सभी  नेक बंदों पर,
ये क़यामत से  भरी रात, खुशनुमा  सुबह में  बदल  जाए। आप सभी को ईद की हार्दिक शुभकामनाएं ।

🌀A challenge by Collab Zone🌟

✔️समय - 15 May शाम 5 बजे तक

✔️ 4-6 पंक्तीयो में ही रचना लिखनी है ।
है यही दिली ख्वाहिश, हर मानव अब तो  इंसान हो जाए,
हर  ख्वाहिश हो  मंजूर-ए-ख़ुदा, चमत्कार  ऐसा हो जाए।

हर इंसान अब इंसानों के साथ, इंसानों जैसा करे व्यवहार,
व्यभिचारी  छोड़ कर, मानव होने का  अपना धर्म निभाए।

ऐ मेरे ख़ुदा  अब तो  रहम कर, अपने सभी  नेक बंदों पर,
ये क़यामत से  भरी रात, खुशनुमा  सुबह में  बदल  जाए। आप सभी को ईद की हार्दिक शुभकामनाएं ।

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✔️समय - 15 May शाम 5 बजे तक

✔️ 4-6 पंक्तीयो में ही रचना लिखनी है ।