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मुझे नहीं मालूम की अभी किस दौर से गुजर रहा हु, कुछ

मुझे नहीं मालूम की अभी किस दौर से गुजर रहा हु,
कुछ खामोशी अपने ज़ेहन में लिए फिर रहा हु
ये रात काटे नही कट रही, हर पल एक साल सा कट रहा है
कुछ बाते कुरेद देता हु पन्नो में, कुछ को राज ही रहने देता हु
कोई पूछे तो हस देता हु,तेरा नाम अपनी जुबा पर रख कर
खामोशी का जहर पी लेता हु
पता नही किस दौर से गुजर रहा हु

©बदनाम
  मुझे नहीं मालूम...

मुझे नहीं मालूम... #Poetry

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