वक़्त की तेज़ धूप और तेज़ आँधियों से, पस्त होते हौसलों को और बढ़ाया जाए, ज़िंदगी के सफ़र में जीर्ण-शीर्ण हो चुके, रिश्तों को फिर से चलकर सजाया जाए, यूँ लगता है जैसे रुठने सी लगी है ज़िंदगी, अंततः उम्मीद का चिराग तो जलाया जाए। 📌निचे दिए गए निर्देशों को अवश्य पढ़ें...🙏 💫Collab with रचना का सार..📖 🌄रचना का सार आप सभी कवियों एवं कवयित्रियों को प्रतियोगिता:-52 में स्वागत करता है..🙏🙏 *आप सभी 6 पंक्तियों में अपनी रचना लिखें। नियम एवं शर्तों के अनुसार चयनित किया जाएगा।