ये ज़िंदगी भी है क्या इक आग का है दरिया बिन प्यार के सहारे चल पाएगा कोई क्या आ जाओ अब्र बनकर इस अगन को बुझा दो... इक बार मुस्कुरा दो... इक बार मुस्कुरा दो... अब्र-बादल ©आशुतोष भट्ट #ज़िंदगी #आग #दरिया #अब्र #poetry #जज़्बात #स्वरचित #प्यार