सन्नाटे इतने हैं कि उड़ेलते हैं सच हर राह पर हर चौराहे पर बयान होती हर शख्सियत उनके बेजुबान सन्नाटो से कोहराम की दस्तक फिर यह मोह परिवर्तित होते हैं बाजारीकरण के जादू में सवेरे के शोर में सम्मिलित दर्द सभी का इस चढ़ते दृश्य में सब चेहरे असत्य ही रहते इस वक्त की बेजुबानी में खोखले मस्तिष्क के प्रतीक अंधकार के सियाह के प्रतीक सन्नाटो की गूंजे जोरो पर चिल्लाती हैं सभी के कानों से गुजरती पर शोर नहीं, ना ही संवेदना कोई #Yãsh🖊 #Poetry #Poem #Emotion #Thoughts #Truth