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सन्नाटे इतने हैं कि उड़ेलते हैं सच हर राह पर हर चौर

सन्नाटे इतने हैं कि उड़ेलते हैं सच
हर राह पर हर चौराहे पर
बयान होती हर शख्सियत
उनके बेजुबान सन्नाटो से
कोहराम की दस्तक
फिर यह मोह परिवर्तित होते हैं
बाजारीकरण के जादू में
सवेरे के शोर में
सम्मिलित दर्द सभी का
इस चढ़ते दृश्य में
सब चेहरे असत्य ही रहते
इस वक्त की बेजुबानी में
खोखले मस्तिष्क के प्रतीक
अंधकार के सियाह के प्रतीक
सन्नाटो की गूंजे जोरो पर
चिल्लाती हैं
सभी के कानों से गुजरती
पर शोर नहीं, 
ना ही संवेदना कोई

#Yãsh🖊 #Poetry #Poem #Emotion #Thoughts #Truth
सन्नाटे इतने हैं कि उड़ेलते हैं सच
हर राह पर हर चौराहे पर
बयान होती हर शख्सियत
उनके बेजुबान सन्नाटो से
कोहराम की दस्तक
फिर यह मोह परिवर्तित होते हैं
बाजारीकरण के जादू में
सवेरे के शोर में
सम्मिलित दर्द सभी का
इस चढ़ते दृश्य में
सब चेहरे असत्य ही रहते
इस वक्त की बेजुबानी में
खोखले मस्तिष्क के प्रतीक
अंधकार के सियाह के प्रतीक
सन्नाटो की गूंजे जोरो पर
चिल्लाती हैं
सभी के कानों से गुजरती
पर शोर नहीं, 
ना ही संवेदना कोई

#Yãsh🖊 #Poetry #Poem #Emotion #Thoughts #Truth
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Yãsh BøRâ

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