तुम वो रोशनी हल्के-पीले रंग की आती जो प्रत्येक गोधुली बेला के संग लिए दिवा रात्रि परिणय मिलन के रंग तो बन कभी भोर की पहली किरण खुशगवार धूप से प्रतीत बिखेरते नव उल्लास कौन जाने बीती तुमपे भी एक तममयी रात पाकर समाचार आने का दादी के चूल्हे की लकड़ियों ने पकड़ी आंच इन आसक़्त ज़िन्दगानियों में जैसे बहा जाता कोई स्नेह बयार! — % & OPEN FOR COLLAB✨ #ATmorningsunpic1 • A Challenge by Aesthetic Thoughts! ✨ #atतुमवोरोशनीहो Collab with your soulful words.✨ • Must use hashtag: #aestheticthoughts • Please maintain the aesthetics.