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पढ़ी लिखी तो मैं भी हूं मगर तेरे सामने अनपढ़ ही रह

पढ़ी लिखी तो मैं भी हूं
मगर तेरे सामने अनपढ़ ही रहना चाहती हूं ‌।
तूं जो हर पल मेरे सर पे अपना हाथ रख 
मेरे शब्दों को हर बार सुधारता है,
सच बताऊं तू मुझे जन्नत की सैर करता है।
तेरा दांत पिसना यार मेरा दिल ले लेता है,
इसलिए तो मैं ऐ गलती हर बार करती हूं।
और तुझे इतना परेशान करती हूं। #पढी लिखीं तो मैं भी हूं
पढ़ी लिखी तो मैं भी हूं
मगर तेरे सामने अनपढ़ ही रहना चाहती हूं ‌।
तूं जो हर पल मेरे सर पे अपना हाथ रख 
मेरे शब्दों को हर बार सुधारता है,
सच बताऊं तू मुझे जन्नत की सैर करता है।
तेरा दांत पिसना यार मेरा दिल ले लेता है,
इसलिए तो मैं ऐ गलती हर बार करती हूं।
और तुझे इतना परेशान करती हूं। #पढी लिखीं तो मैं भी हूं
rajshiraj4084

Rajshi Raj

New Creator