White मैं मंदोदरी मन- दो -धरी ..... पंचकन्या की एक शक्ति, मायासुर की मैं पुत्री धर्म जानकर भी, अधर्म का साथ ना छोड़ सकी सत्य पहचान कर भी, पति धर्म ना तोड़ सकी मेरे ही प्रेम मंदिर से क्यों मैं यूं अलिप्त रही लाखों घाव सहकर भी, सती धर्म निभाती रही मैं मंदोदरी मन- दो- धरी......... मानती हूं ,सीता मां के त्याग बलिदान का कोई तोल नहीं, पर हे मर्यादा पुरुषोत्तम, प्रार्थना है तुझसे' रामायण के पावन पन्नों पर मंदोदरी को भी सम्मान मिले' मै मंदोदरी मन- दो -धरी......... ©Sudha Betageri #sudha