मेरी बेगम की शिकायत थी कि मैं उलूल-जलूल लिखता रहता हूँ और उनपर कभी कुछ नहीं लिखता।वस्तुतः वो मेरे लिए शब्दों से परे है। फिर भी आज उनकी ज़िद और मेरा प्यार.....!!और चंद पंक्तियाँ मैंने उनके लिए लिख डाली। पेश है--------!!! ----ज्योतिपंकज---- ***************** जबसे तेरा साथ मिला है हर मुश्किल लगती छोटी है ! जिस पथ पर भी साथ चला मैं वो पथ मेरे चरण चूमती है ! खुशियां भरे मेरे जीवन में बन मुस्कान घूमती रहती है ! सूरज थककर छुप भी जाता पर मेरी जान कहाँ थकती है ? मुसीबतों में आँसुओं को जाम बनाकर वो पीती है ! मेरी भामिनी मेरे नाम से जीवन भर भर जीती है ! सरल स्वभाव निश्छल भाव किसी देवी की प्रतिमूर्ति है ! कृष्ण सरीखे मेरे नखरों को राधा बनकर वो सहती है ! कर्तव्य पथ पर दूर भी जाऊं आकर पास मुझसे कहती है ! ख़्वावों में भी दूर ना रहना बिन पानी मछली कहाँ जीती है ! इश्क में तेरे मैं बना फतिंगा दीप की लौ सी तु जलती है ! तेरे स्नेह सलिल का मैं "पंकज" मेरे जीवन की तु "ज्योति" है !! @------"पंकज"--------