पापा आप के होने से ख्वाब तो बड़े थे पर उन्हें पूरा कर सकने की उम्मीदें भी बड़ी थी तब हर सफर पर चलने से पहले मंजिल की फिक्र तो होती थी पर सफर में लड़खड़ाने पर ऊँगली को थाम लेने का भरोसा भी साथ रहता था तब ख्वाब हमारे कितने भी अधूरे क्यूँ न हों आपका साथ होने से वो भी पूरे हो जाते थे कभी-कभी तो यूँ लगता है कि वो वक्त कल ही तो गुजरा है जब मैं अपने सहारे की ऊँगली थाम सहारा बनता था तब कितनों कि अरमानों को कंधों पर बिठाए घुटनों पर मैं चलता था कई तरह के सपनों से बोझिल पलकों के बीच मैं पलता था हर सुबह मैं नए ख्वाबों के पिछे भागता फिरता रहता था लेकिन दिल को सुकुन तब ही आता था जब शाम को आप घर लौट के आते थे जमाने की तमाम खुशियों को उस एक थैले में समेट लाते थे आज भले ही दुनियादारी की सीढ़ियों पर दौड़ता भागता फिरता हुँ बड़े लोगों के बीच रहते रहते बातें भी बड़ी करता हुँ मगर ये दिल आज भी बच्चा है किसी कोने से जरा सा कच्चा है आज भी ख्वाब मुसलसल देखता हुँ मैं पर वो उम्मीदें वो सहारे सब बात पुराने हो चले हैं जीने के नए-नए बहाने हो चले हैं #papa